महाकाल की नगरी तैयार, सिंहस्थ में टूटेंगे हर रिकॉर्ड: घाट से लेकर मेट्रो तक होगी भव्य तैयारियां, सड़कों-फ्लाईओवर से बदल जाएगा शहर का नक्शा!

उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:

उज्जैन, महाकाल की नगरी, आने वाले वर्षों में सिर्फ धार्मिक आस्था का केंद्र ही नहीं बल्कि विश्वस्तरीय आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन का गढ़ बनने जा रही है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में हाल के दिनों में हुए कार्यक्रमों ने इस दिशा को और स्पष्ट कर दिया है। चाहे मिट्टी से बने गणेश प्रतिमाओं का वितरण हो, रीगल टॉकीज जैसे ऐतिहासिक स्थलों का आधुनिकीकरण हो, या फिर ग्लोबल स्पिरिचुअल टूरिज्म कॉन्क्लेव — हर पहल का लक्ष्य साफ है: सिंहस्थ 2028 को अब तक का सबसे भव्य और यादगार आयोजन बनाना।

मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कहा है कि बाबा महाकाल की कृपा से यह सिंहस्थ सभी पुराने रिकॉर्ड तोड़ेगा। इस बार न सिर्फ घाट और मंदिरों का सौंदर्यीकरण होगा, बल्कि आधुनिक यातायात, रोड कनेक्टिविटी और मेट्रो जैसी सुविधाएँ उज्जैन को नए रूप में दुनिया के सामने पेश करेंगी। क्षिप्रा नदी में निरंतर प्रवाह बनाए रखने के लिए सेवरखेड़ी-सिलारखेड़ी परियोजना पर तेजी से काम चल रहा है। इसका सीधा लाभ सिंहस्थ के दौरान करोड़ों श्रद्धालुओं को मिलेगा।

मुख्यमंत्री ने उज्जैन को 107 करोड़ रुपये के विकास कार्यों की सौगात दी है। रीगल टॉकीज क्षेत्र का पुनर्निर्माण, गदा पुलिया से लाल पुल ब्रिज तक चौड़ीकरण, और गाड़ी अड्डा से लेकर बड़ी पुलिया तक नई सड़कों का निर्माण इसी कड़ी का हिस्सा है। खास बात यह है कि इन प्रोजेक्ट्स का उद्देश्य केवल शहरी यातायात सुधारना नहीं है, बल्कि सिंहस्थ के दौरान लाखों श्रद्धालुओं की आवाजाही को सुगम बनाना भी है।

‘रूहMantic’ ग्लोबल स्पिरिचुअल टूरिज्म कॉन्क्लेव ने उज्जैन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक नया आयाम दिया है। यहां तिरुपति, शिरडी और काशी जैसे प्रतिष्ठित ट्रस्टों के प्रतिनिधि शामिल हुए। कॉन्क्लेव में यह संदेश स्पष्ट हुआ कि भारत में आध्यात्मिक पर्यटन सिर्फ आस्था का विषय नहीं, बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी अपार संभावनाओं वाला क्षेत्र है। विशेषज्ञों का मानना है कि देश की जीडीपी का 2.5 प्रतिशत हिस्सा केवल स्पिरिचुअल टूरिज्म से आता है और इसमें मध्यप्रदेश बड़ी भूमिका निभा सकता है।

उज्जैन की पहचान केवल महाकाल मंदिर तक सीमित नहीं है। यह शहर राजा विक्रमादित्य, महाकवि कालिदास और सम्राट अशोक जैसी ऐतिहासिक विभूतियों से जुड़ा रहा है। मुख्यमंत्री ने रीगल टॉकीज क्षेत्र में विकास कार्यों की शुरुआत करते हुए इस ऐतिहासिक धरोहर को फिर से जीवंत करने का संकल्प जताया। यहां से सिंहस्थ के दौरान पेशवाई निकलती है और यह स्थान सदियों से धार्मिक-सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र रहा है।

डॉ. मोहन यादव ने सिंहस्थ की तैयारियों के साथ-साथ सामाजिक योजनाओं का भी उल्लेख किया। प्रधानमंत्री की लखपति दीदी योजना और प्रदेश की ‘लाडली बहना योजना’ ने महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाया है। मुख्यमंत्री ने ऐलान किया कि जल्द ही बहनों को 1500 रुपये प्रतिमाह की राशि दी जाएगी। इसके अलावा, ओबीसी आरक्षण और स्थानीय निकाय चुनावों में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने का वादा समाज के हर वर्ग को जोड़ने की कोशिश का हिस्सा है।

वैश्विक आकर्षण की ओर बढ़ता उज्जैन

केंद्रीय पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि उज्जैन की आध्यात्मिक धरोहर न केवल भारत की सांस्कृतिक शक्ति है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी इसका महत्व बढ़ा है। आज जो संख्या अयोध्या, काशी और प्रयागराज में देखने को मिल रही है, उसी तरह उज्जैन भी आने वाले समय में दुनिया के शीर्ष धार्मिक पर्यटन स्थलों में शामिल होगा।

सिंहस्थ 2028 को ध्यान में रखते हुए उज्जैन में सड़कें, फ्लाईओवर, ब्रिज, घाट और पार्किंग जैसी आधारभूत सुविधाएं तेजी से तैयार की जा रही हैं। साथ ही, इंदौर-पीथमपुर से उज्जैन को जोड़ने वाली नई मेट्रो लाइन इस क्षेत्र के पर्यटन और व्यापार दोनों को नई उड़ान देगी। विशेषज्ञों का मानना है कि सिंहस्थ न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि आर्थिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी मध्यप्रदेश को नई ऊंचाई पर पहुंचाएगा।

उज्जैन, जिसे कालजयी नगरी कहा जाता है, आने वाले तीन वर्षों में विश्व स्तर पर एक नए स्वरूप में सामने आने वाला है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की दृष्टि केवल सिंहस्थ 2028 को सफल बनाने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके बहाने उज्जैन और पूरे मध्यप्रदेश को वैश्विक आध्यात्मिक पर्यटन के केंद्र के रूप में स्थापित करने की है।

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